आज भी शिमला की सुरम्य वादियों में विराजते हैं संकट मोचन हनुमान जी
प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर कालका - शिमला राजमार्ग पर समुद्र तल से ऊपर 1975 मीटर की ऊंचाई पर है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है, और यह शिमला टाउन और शक्तिशाली हिमालय पर्वतमाला के सम्मोहित कर देने वाले मनोरम दृश्यों को प्रदर्शित करता है।
बेहद सुन्दर है ये जगह
इस मंदिर का प्रांगण बहुत सुंदर है। यह जगह इतनी शांत और सुंदर है कि यहां पहुंच कर आपके कष्ट और संकट अपने-आप ही दूर होते महसूस होने लगते हैं।
एक पौराणिक कथा
यहाँ आकर बड़े बड़े संकट टल जाते हैं
आज यहां रोजाना बड़ी तादाद में स्थानीय लोग तो आते ही हैं, शिमला आने वाले लगभग सभी पर्यटक भी यहां आए बिना नहीं रहते। यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। यहां के बारे में मान्यता है कि यहां आकर सच्चे मन से प्रार्थना की जाए तो बड़े-बड़े संकट टल जाते हैं।
प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर कालका - शिमला राजमार्ग पर समुद्र तल से ऊपर 1975 मीटर की ऊंचाई पर है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है, और यह शिमला टाउन और शक्तिशाली हिमालय पर्वतमाला के सम्मोहित कर देने वाले मनोरम दृश्यों को प्रदर्शित करता है।
बेहद सुन्दर है ये जगह
इस मंदिर का प्रांगण बहुत सुंदर है। यह जगह इतनी शांत और सुंदर है कि यहां पहुंच कर आपके कष्ट और संकट अपने-आप ही दूर होते महसूस होने लगते हैं।
एक पौराणिक कथा
बीती सदी में पचास के दशक की बात है, जब संत नीब करौरी बाबा (जिन्हें नीम करौली बाबा के नाम से भी जाना जाता है और जिनका मशहूर कैंची धाम आश्रम नैनीताल के पास है) तारादेवी नाम की इस पहाड़ी पर आकर एक कुटिया में दस-बारह दिन तक रहे थे। इस जगह पर योग-ध्यान करते हुए उन्हें प्रेरणा हुई कि यहां पर हनुमान जी का एक मंदिर बने। बाबा ने अपनी इच्छा अपने अनुयायियों को बताई और आखिर सन 1962 में हिमाचल के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर राजा बजरंग बहादुर सिंह (भद्री रियासत के राजा) और अन्य भक्तों ने इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया।21 जून, 1966, मंगलवार को इस मंदिर का विधिवत उद्घाटन हुआ और धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता व मान्यता फैलती चली गई।
यहाँ साथ भगवान शिव,राम और गणेश जी के भी हैं मंदिर
सन् 1966 में उन्होंने इस मंदिर की आधारशिला रखी, हनुमान जी अकेले कैसे रहते, बाद में प्रशासन द्वारा इसका विस्तार किया गया। मंदिर के परिसर को विभाजित किया गया है और भगवान शिव, भगवान राम और भगवान गणेश की मूर्तियाँ अलग-अलग परिसरों में प्रतिस्थापित हैं। गणेश मंदिर की डिजाइन दक्षिण भारतीय वास्तुकला शैली को प्रदर्शित करती है।
यहा से दिखता है शिमला शहर का बेहद खुबसुरत नजारा
यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है।यह शिमला टाउन और शक्तिशाली हिमालय पर्वतमाला के सम्मोहित कर देने वाले मनोरम दृश्यों को प्रदर्शित करता है।यहाँ से आप पुरा शिमला शहर देख सकते हैं। यहाँ से बेहद अद्भुत नजारा दिखता है जो हर किसी का मन मोह लेता है।
हर रविवार को यहाँ विशाल भंडारे का आयोजन होता है
हनुमान जी का मंदिर होने के कारण हर मंगलवार और शनिवार को तो यहां ज्यादा भीड़ होती ही है, रविवार को भी मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या देखते ही बनती है।यहाँ का प्रसाद ‘लंगर’ भी कहलाता है जो पूरे साल हर रविवार को भक्तों में बांटा जाता है।रविवार को यहां काफी बड़े स्तर पर भंडारे का आयोजन किया जाता है। यह मंदिर विवाह सहित विभिन्न अनुष्ठानों के आयोजन की भी सुविधा प्रदान करता है।
यहाँ आकर बड़े बड़े संकट टल जाते हैं
मंदिर कैसे पहुँचे ?
कालका शिमला मार्ग पर 5 किमी की दूरी पर सिथत है।सड़क मार्ग से शिमला जाने पर यहां से करीब पांच किलोमीटर पहले अपनी दाईं तरफ आपको दिखेगा खूबसूरत संकटमोचन हनुमान मंदिर। शिमला से यहां टैक्सी के अलावा स्थानीय बस से भी आया-जाया जा सकता है।
" जय वीर बजरंग बली जी "
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