रूह को कंपाने वाली है ये यात्रा,भस्मासुर से बचने के लिए यहां छिपे थे भोलेनाथ
समूचा हिमालय शिव शंकर का स्थान है और उनके सभी स्थानों पर पहुंचना बहुत ही कठिन होता है। चाहे वह अमरनाथ हो, केदानाथ हो या कैलाश मानसरोवर। इसी क्रम में एक और स्थान है श्रीखंड महादेव का स्थान। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट ऊंचाई पर चढ़ना होता है।
चढ़नी पड़ती है 18570 फीट की ऊंचाई
आमतौर पर कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन व दुर्गम धार्मिक यात्रा मानी जाती है। उसके बाद किसी का नंबर आता है तो वो है अमरनाथ यात्रा, लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन है। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट की ऊचाई पर चढ़ना होता है और यहां पहुंचने का रास्ता भी बेहद खतरनाक है। अमरनाथ से भी कठिन श्री खंड महादेव की इस यात्रा में रूह कांप जाती है।
श्रीखंड महादेव से जुड़ी कथा
कथानुसार, दानव भस्मासुर ने भगवान शिव जी को अपनी तपस्या से खुश कर वरदान माँगा कि वह जिस किसी के सर पर भी हाथ रख दे वह उसी समय स्वाहा हो जाए मतलब उसकी उसी समय मृत्यु हो जाए। भगवान शिव जी द्वारा उसे यह वरदान प्राप्त हो गया जिसके बाद अपनी दुष्ट राक्षस प्रवृत्ति के अनुसार उसने सबसे पहले भगवान शिव जी पर ही हाथ रख उनको ख़त्म करना चाहा, जिसका भगवान शिव जी को पता चलते ही वे एक गुफा में जा छुपे और भगवान विष्णु जी को कुछ उपाय कर इस राक्षस को ख़त्म करने को कहा। भगवान विष्णु जी ने मोहिनी का रूप धारण कर उस राक्षस को अपने साथ नचाते हुए छल से उसके हाथ को उसके अपने ही सर पर रखने को विवश कर दिया, जिससे उसकी उसी वक़्त मृत्यु हो गयी।
आज भी यहाँ की मिट्टी दूर से लाल दिखाई देती है।
पार्वती माँ के अश्रुओं से यहां नयनसरोवर का निर्माण हुआ
अहंकार में भस्मासुर भगवान शिव के ही पीछे पड़ गया। मजबूरन भोलेनाथ को इन पहाड़ की गुफाओं में छिपना पड़ा। राक्षस के डर से पार्वती यहां रो पड़ीं। कहते हैं कि उनके अश्रुओं से यहां नयनसरोवर का निर्माण हुआ। इसकी एक एक धार यहां से 25 किमी नीचे भगवान शिव की गुफा निरमंड के देव ढांक तक गिरती है। बाद में भस्मासुर का वध किया गया। श्रीखंड यात्रा के दौरान लोग इस सरोवर पर जाना नहीं भूलते।
पांडवो ने यहाँ बिताया था समय
एक कथा के अनुसार जब पांडवों को 13 वर्ष का वनवास हुआ तो उन्होंने कुछ समय यहां बिताया। इसके साक्ष्य वहां भीम द्वारा बड़े-बड़े पत्थरों का काटकर रखना बताया जाता है। उन्होंने यहां एक राक्षस को मारा था, जो यहां आने वाले भक्तों को मार खाता था। राक्षस का लाल रक्त जब जमीन पर पड़ा तो उस जगह की जमीन रंग लाल हो गई। यह आज भी वहां लाल रंग में मौजूद है। भीमडवार पहुंचने के बाद रात के समय यहां कई जड़ी-बूटियां चमक उठती हैं। भक्तों का दावा है कि इनमें से कई संजीवनी बूटी भी मौजूद है।
सुंदर घाटियों के बीच से गुजरता है ट्रैक
18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड यात्रा के दौरान सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की भी कमी पडती है। श्रीखंड जाते समय करीब एक दर्जन धार्मिक स्थल व देव शिलाएं हैं। श्रीखंड में भगवान शिव का शिवलिंग हैं। श्रीखंड से करीब 50 मीटर पहले पार्वती, गणेश व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं भी हैं। श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है।
राह में कई देव स्थल
श्रीखंड जाते समय प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जावों में माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, सिंहगाड़, जोतकाली, ढंकद्वार, बकासुर बध, ढंकद्वार व कुंषा आदि स्थान आते हैं।
श्रीखंड महादेव के कठिन रास्तों में खच्चर नहीं चल सकता
अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा चल ही नहीं सकता। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।
मेडिकल चेकअप के बाद यात्रा की अनुमति
इस टीम के सुझावों के अनुसार आवश्यक प्रबंध किए जाएंगे। यात्रा के सभी महत्वपूर्ण पड़ावों व रास्तों की मरम्मत भी की जाएगी। विधायक खूब राम ने संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे सभी पड़ावों पर यात्रियों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाएं। उपायुक्त ने बताया कि सभी यात्रियों का पंजीकरण किया जाएगा और उनसे 100 रुपए पंजीकरण शुल्क लिया जाएगा। मेडिकल चेकअप के बाद ही श्रद्धालुओं को यात्रा आरंभ करने की अनुमति दी जाएगी। यात्रा के दौरान बचाव दल और मेडिकल टीमें हर समय तैनात रहेंगी। पंजीकरण के बगैर किसी भी श्रद्धालु को यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी।
श्रीखंड महादेव पहुँचें कैसे?
यहाँ की यात्रा आरंभ करने से पहले आपको शिमला पहुंचना होगा जहाँ से जाँव गाँव तक का मार्ग कुछ इस प्रकार है:
शिमला से रामपुर - 130 किमी
रामपुर से निरमंड - 17 किमी
निरमंड से बागीपुल - 17 किमी
बागीपुल से जाँव - 12 किमी
श्रीखंड महादेव की यात्रा के दौरान आपको तीन पड़ावों से गुज़रना होगा।
1. सिंघाड़ से थाचरु:
जाँव गाँव से सिंघाड़ की यात्रा पैदल 3 किलोमीटर की होती है जहाँ से आपको थाचरु तक 12 किलो मीटर की यात्रा जंगल के मनोरम दृश्यों के बीच करनी होती है। इन प्राकृतिक दृश्यों के बीच आपकी थकान भी आपको याद नहीं रहती है।
2. थाचरु से काली घाटी:
थाचरू से तीन किलोमीटर की सीधी चढ़ाई के बाद हम पहुंचते हैं काली घाटी। काली घाटी में काले पहाड़ों पर बिछी बर्फ की सफेद परत अलग ही छटा बिखेरती है।
3. काली घाटी से भीम द्वार:
भीम द्वार तक पहुंचने के लिए काली घाटी से सात किलोमीटर की कठिन पहाड़ी चढ़ाई है। रास्ते में हरियाली से भरी सुंदर घाटियां देख आत्मा तृप्त हो जाती है। पार्वती बाग की घटियाँ और उनमें खिलने वाले ब्रह्म कमल के फूलों से भरी घाटी का नज़ारा आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं।
अंत में आप इन तीन पड़ावों को पार कर 6 किलोमीटर की दूरी सीधे और चढ़कर पहुँचते हैं, श्रीखंड महादेव के अद्भुत शिवलिंग के दर्शन करने। जहाँ पहुँच आप का उत्साह पहाड़ की उँचाई की तरह सबसे चरम सीमा पर पहुँच जाता है। पहाड़ और बादलों का एक साथ मिलने का दृश्य आपके लिए सबसे अलग और अद्भुत अनुभव होता है। कहा भी जाता है, यहाँ तक पहुँचने वाले तीसरे पड़ाव वाला स्थान भीम द्वार महाभारत के भीम द्वारा स्वर्ग तक पहुँचने के लिए बनाया गया मार्ग है। जहाँ से आप यहाँ तक का सफ़र तय करते हैं।
पड़ावों में, यहाँ आने वले श्रद्धालुओं के लिए लंगर व रहने के लिए कैंप की भी सुविधा उपलब्ध है।
यहाँ आने का उचित समय:
इस यात्रा को पूरा करने में आपको लगभग 10 दिन का समय लगता है। यहाँ आने का सबसे उचित समय है मई से सितंबर तक के महीने। अपनी इस यात्रा को पूरा कर अपने स्वर्ग की यात्रा के सपने को इसी जीवन में पूरा करिए, लेकिन सारे दिशा निर्देशों का पालन करते हुए और अपनी दिव्य यात्रा को सबसे यादगार अनुभवों में सम्मिलित करिए।
" श्रीखंड महादेव चोटी का दूर से सबसे मनोरम दृश्य "
" हर हर महादेव "
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें ⬇⬇⬇
समूचा हिमालय शिव शंकर का स्थान है और उनके सभी स्थानों पर पहुंचना बहुत ही कठिन होता है। चाहे वह अमरनाथ हो, केदानाथ हो या कैलाश मानसरोवर। इसी क्रम में एक और स्थान है श्रीखंड महादेव का स्थान। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट ऊंचाई पर चढ़ना होता है।
चढ़नी पड़ती है 18570 फीट की ऊंचाई
आमतौर पर कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन व दुर्गम धार्मिक यात्रा मानी जाती है। उसके बाद किसी का नंबर आता है तो वो है अमरनाथ यात्रा, लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन है। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट की ऊचाई पर चढ़ना होता है और यहां पहुंचने का रास्ता भी बेहद खतरनाक है। अमरनाथ से भी कठिन श्री खंड महादेव की इस यात्रा में रूह कांप जाती है।
श्रीखंड महादेव से जुड़ी कथा
कथानुसार, दानव भस्मासुर ने भगवान शिव जी को अपनी तपस्या से खुश कर वरदान माँगा कि वह जिस किसी के सर पर भी हाथ रख दे वह उसी समय स्वाहा हो जाए मतलब उसकी उसी समय मृत्यु हो जाए। भगवान शिव जी द्वारा उसे यह वरदान प्राप्त हो गया जिसके बाद अपनी दुष्ट राक्षस प्रवृत्ति के अनुसार उसने सबसे पहले भगवान शिव जी पर ही हाथ रख उनको ख़त्म करना चाहा, जिसका भगवान शिव जी को पता चलते ही वे एक गुफा में जा छुपे और भगवान विष्णु जी को कुछ उपाय कर इस राक्षस को ख़त्म करने को कहा। भगवान विष्णु जी ने मोहिनी का रूप धारण कर उस राक्षस को अपने साथ नचाते हुए छल से उसके हाथ को उसके अपने ही सर पर रखने को विवश कर दिया, जिससे उसकी उसी वक़्त मृत्यु हो गयी।
आज भी यहाँ की मिट्टी दूर से लाल दिखाई देती है।
पार्वती माँ के अश्रुओं से यहां नयनसरोवर का निर्माण हुआ
अहंकार में भस्मासुर भगवान शिव के ही पीछे पड़ गया। मजबूरन भोलेनाथ को इन पहाड़ की गुफाओं में छिपना पड़ा। राक्षस के डर से पार्वती यहां रो पड़ीं। कहते हैं कि उनके अश्रुओं से यहां नयनसरोवर का निर्माण हुआ। इसकी एक एक धार यहां से 25 किमी नीचे भगवान शिव की गुफा निरमंड के देव ढांक तक गिरती है। बाद में भस्मासुर का वध किया गया। श्रीखंड यात्रा के दौरान लोग इस सरोवर पर जाना नहीं भूलते।
पांडवो ने यहाँ बिताया था समय
एक कथा के अनुसार जब पांडवों को 13 वर्ष का वनवास हुआ तो उन्होंने कुछ समय यहां बिताया। इसके साक्ष्य वहां भीम द्वारा बड़े-बड़े पत्थरों का काटकर रखना बताया जाता है। उन्होंने यहां एक राक्षस को मारा था, जो यहां आने वाले भक्तों को मार खाता था। राक्षस का लाल रक्त जब जमीन पर पड़ा तो उस जगह की जमीन रंग लाल हो गई। यह आज भी वहां लाल रंग में मौजूद है। भीमडवार पहुंचने के बाद रात के समय यहां कई जड़ी-बूटियां चमक उठती हैं। भक्तों का दावा है कि इनमें से कई संजीवनी बूटी भी मौजूद है।
सुंदर घाटियों के बीच से गुजरता है ट्रैक
18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड यात्रा के दौरान सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की भी कमी पडती है। श्रीखंड जाते समय करीब एक दर्जन धार्मिक स्थल व देव शिलाएं हैं। श्रीखंड में भगवान शिव का शिवलिंग हैं। श्रीखंड से करीब 50 मीटर पहले पार्वती, गणेश व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं भी हैं। श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है।
राह में कई देव स्थल
श्रीखंड जाते समय प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जावों में माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, सिंहगाड़, जोतकाली, ढंकद्वार, बकासुर बध, ढंकद्वार व कुंषा आदि स्थान आते हैं।
श्रीखंड महादेव के कठिन रास्तों में खच्चर नहीं चल सकता
अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा चल ही नहीं सकता। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।
मेडिकल चेकअप के बाद यात्रा की अनुमति
इस टीम के सुझावों के अनुसार आवश्यक प्रबंध किए जाएंगे। यात्रा के सभी महत्वपूर्ण पड़ावों व रास्तों की मरम्मत भी की जाएगी। विधायक खूब राम ने संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे सभी पड़ावों पर यात्रियों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाएं। उपायुक्त ने बताया कि सभी यात्रियों का पंजीकरण किया जाएगा और उनसे 100 रुपए पंजीकरण शुल्क लिया जाएगा। मेडिकल चेकअप के बाद ही श्रद्धालुओं को यात्रा आरंभ करने की अनुमति दी जाएगी। यात्रा के दौरान बचाव दल और मेडिकल टीमें हर समय तैनात रहेंगी। पंजीकरण के बगैर किसी भी श्रद्धालु को यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी।
श्रीखंड महादेव पहुँचें कैसे?
यहाँ की यात्रा आरंभ करने से पहले आपको शिमला पहुंचना होगा जहाँ से जाँव गाँव तक का मार्ग कुछ इस प्रकार है:
शिमला से रामपुर - 130 किमी
रामपुर से निरमंड - 17 किमी
निरमंड से बागीपुल - 17 किमी
बागीपुल से जाँव - 12 किमी
श्रीखंड महादेव की यात्रा के दौरान आपको तीन पड़ावों से गुज़रना होगा।
1. सिंघाड़ से थाचरु:
2. थाचरु से काली घाटी:
थाचरू से तीन किलोमीटर की सीधी चढ़ाई के बाद हम पहुंचते हैं काली घाटी। काली घाटी में काले पहाड़ों पर बिछी बर्फ की सफेद परत अलग ही छटा बिखेरती है।
3. काली घाटी से भीम द्वार:
भीम द्वार तक पहुंचने के लिए काली घाटी से सात किलोमीटर की कठिन पहाड़ी चढ़ाई है। रास्ते में हरियाली से भरी सुंदर घाटियां देख आत्मा तृप्त हो जाती है। पार्वती बाग की घटियाँ और उनमें खिलने वाले ब्रह्म कमल के फूलों से भरी घाटी का नज़ारा आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं।
अंत में आप इन तीन पड़ावों को पार कर 6 किलोमीटर की दूरी सीधे और चढ़कर पहुँचते हैं, श्रीखंड महादेव के अद्भुत शिवलिंग के दर्शन करने। जहाँ पहुँच आप का उत्साह पहाड़ की उँचाई की तरह सबसे चरम सीमा पर पहुँच जाता है। पहाड़ और बादलों का एक साथ मिलने का दृश्य आपके लिए सबसे अलग और अद्भुत अनुभव होता है। कहा भी जाता है, यहाँ तक पहुँचने वाले तीसरे पड़ाव वाला स्थान भीम द्वार महाभारत के भीम द्वारा स्वर्ग तक पहुँचने के लिए बनाया गया मार्ग है। जहाँ से आप यहाँ तक का सफ़र तय करते हैं।
पड़ावों में, यहाँ आने वले श्रद्धालुओं के लिए लंगर व रहने के लिए कैंप की भी सुविधा उपलब्ध है।
यहाँ आने का उचित समय:
इस यात्रा को पूरा करने में आपको लगभग 10 दिन का समय लगता है। यहाँ आने का सबसे उचित समय है मई से सितंबर तक के महीने। अपनी इस यात्रा को पूरा कर अपने स्वर्ग की यात्रा के सपने को इसी जीवन में पूरा करिए, लेकिन सारे दिशा निर्देशों का पालन करते हुए और अपनी दिव्य यात्रा को सबसे यादगार अनुभवों में सम्मिलित करिए।
" श्रीखंड महादेव चोटी का दूर से सबसे मनोरम दृश्य "
" हर हर महादेव "
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें ⬇⬇⬇
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