NAINA DEVI JI

मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे,51 शक्तिपीठों में से एक 

हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे धार्म‍िक स्थल हैं, जहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इनमें से सबसे अध‍िक महिमा माता नैना देवी की मानी जाती है। नैनादेवी मंदिर प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थ‍ित है। 51 शक्ति पीठियों में से एक शक्ति पीठ श्री नैना देवी मंदिर है, जहां पर माता सती की आंखें गिरी थी। नैना देवी हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में है। यह शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाडि़यों पर स्थित एक भव्य मन्दिर है। नैना देवी का एक मन्दिर नैनीताल में भी स्थित है।



नैना देवी मंदिर शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर स्थित है

नैना देवी या नयना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में है। यह भी माँ शक्ति का एक सिद्ध पीठ है जो शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियो पर समुद्र तल से 11000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है स्थित है। नैना देवी हिंदूओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यह स्थान NH-21 से जुड़ा हुआ है। मंदिर तक जाने के लिए पद मार्ग या उड़्डनखटोले से भी जा सकते है |




मंदिर में एक पीपल का पेड़ और भी कई पुरानी धरोहरे 

मंदिर में पीपल का पेड़ मुख्य आकर्षण का केन्द्र है जो कि अनेको शताब्दी पुराना है। मंदिर के गुम्बद सोने से बने हुए है |मंदिर निर्माण में सफेद मार्बल काम में लिए गये है | मुख्य गुम्बद पर नैना देवी को समर्प्रित झंडे दिखाई देते है कुछ गुम्बदो पर शिव त्रिशूल भी लगे हुए है |मंदिर के मुख्य द्वार के दाई ओर भगवान गणेश और हनुमान कि मूर्ति है। मुख्य द्वार के के आगे दो शेर की प्रतिमाएं दिखाई देती है जो शेरोवाली की मुख्य सवारी है | मंदिर के गर्भग्रह में मुख्य तीन मूर्तियां है। दाई तरफ माँ काली , मध्य में नैना देवी की और बाई ओर भगवान श्री गणपति की प्रतिमा है। पास ही में पवित्र जल का तालाब है जो मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। मंदिर के समीप एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है|




पौराणिक कथा

एक बार की बात है कि नैना नाम का गुज्जर लड़का अपने मवेशियों को चराने गया तो वहॉ पर देखा कि एक सफेद गाय अपने स्तनों से एक पत्थर पर दूध धार गिरा रही थी। उसने यह दृश्य अगले कई दिनों तक लगातार देखा। फिर एक रात जब वह सो रहा था, उसने देवी माँ को सपने मे यह कहते हुए देखा कि वह पत्थर ही उनकी पिंडी है। नैना गुर्जर ने पूरी स्थिति और अपने सपने के बारे में राजा बीर चंद को बताया। जब राजा ने देखा कि गुर्जर की बात सत्य है तो, राजा ने उसी स्थान पर श्री नयना देवी नाम के मंदिर का निर्माण करवाया।





दूसरी कथा

किंवदंतियों के अनुसार, महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस था जिसे श्री ब्रह्मा द्वारा अमरता का वरदान प्राप्त था, लेकिन उस पर शर्त यह थी कि वह एक अविवाहित महिला द्वारा ही परास्त हो सकता था। इस वरदान के कारण, महिषासुर ने पृथ्वी और देवताओं पर आतंक मचाना शुरू कर दिया। राक्षस के साथ सामना करने के लिए सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को संयुक्त किया और एक देवी को बनाया जो उसे हरा सके।





दोनों आंखें निकाल दीं


देवी को सभी देवताओं द्वारा अलग अलग प्रकार के हथियारों की भेंट प्राप्त हुई। महिषासुर देवी की असीम सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया और उसने शादी का प्रस्ताव देवी के समक्ष रखा। देवी ने उसके समझ एक शर्त रखी कि अगर वह उसे हरा देगा तो वह उससे शादी कर लेगी। लड़ाई के दौरान, देवी ने दानव को परास्त किया और उसकी दोनों आंखें निकाल दीं।





भव्य मेले का आयोजन

नैना देवी मंदिर शक्ति पीठ मंदिरों मे से एक है। नैना देवी मंदिर में नवरात्र का त्यौहार उत्सव के रूप में मनाया जाता है। वर्ष में आने वाली दोनो नवरात्र, चौत्र मास और अश्‍िवन मास के नवरात्रि में यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।




जो एक बार यहाँ माता के दर्शन कर लेता है,वह बार-बार यहां आकर माता का आशीर्वाद लेना चाहता है

श्रावण अष्टमी, चैत्र नवरात्र और आश्विन नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुटती है.भक्त 'जय 
माता दी' का उद्घोष करते हुए इस उम्मीद के साथ माता के दर्शन करने आते हैं कि उनकी मनोकामनाएं पूरी हों और यहाँ होती है हर मनोकामना जो सच्चे दिल से माँ के दरबार में आता है। 




मंदिर कैसे पहुँचे ?

यह मंदिर दिल्ली से 350 किमी और चंडीगढ़ से 100 किमी की दुरी पर है | लुधियाना: 125 कि॰मी॰ दूर और चिन्तपूर्णी मंदिर 110 कि॰मी॰ दूर है |
सबसे पास का हवाईअड्डा चंडीगढ़ है |रैल्वे स्टेशन सबसे नजदिकी आनंदपुर साहिब है जहा से मंदिर 30 किमी की दुरी पर है | आनंदपुर साहिब से आसानी से टैक्सी बस मंदिर जाने के लिए मिल जाती है | रोड रास्ते के हिसाब से यह नेशनल हाईवे 21 पर पड़ता है |




"जय माँ नैना देवी जी "

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